अगर मैं कुंडली मिलाए बिना शादी करूँ तो क्या मेरी शादी सफल होगी?

आजकल जब कुंडली मिलान जैसी तकनीक सबके लिए उपलब्ध है तो मन में ये प्रश्न भी आना स्वाभाविक है कि अगर मैं कुंडली मिलाए बिना शादी करूँ तो क्या मेरी शादी सफल होगी? तो इस प्रश्न का जवाब सिर्फ एक शब्द में नहीं कहा जा सकता है क्योंकि इस प्रश्न के भीतर कई उत्तर समाए हुए हैं जिसके लिए हर उत्तर पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह प्रश्न उसी प्रश्न की भांति है कि”सृष्टि को कौन चला रहा है” अब इस प्रश्न में एक उत्तर देने से सभी लोग संतुष्ट नहीं हो पाएंगे क्योंकि हर मार्ग से इसकी अनुभूति का स्वरूप अलग अलग होगा। इसी तरह से कुंडली मिलाए बिना भी लाखों शादियां हो रही हैं लेकिन जब बात आती है कुंडली मिलाने की तब स्थिति अलग असर दिखाती है और रिश्तों में जो विशेष सुख मिलता है वह और कहीं नहीं मिल पाता है। व्यक्ति को जीवन साथी के रूप में हर कदम पर साथ चलने वाला प्रीतम मिलता है। फिर चाहे प्रेम विवाह हो या फिर परिवार की सहमति से किया हुआ विवाह दोनों में ही कुंडली मिलान का महत्व बहुत अधिक शुभ प्रभाव देने वाला बन जाता है।

हमें शादी से पहले कुंडली क्यों मिलानी चाहिए?

विवाह हिंदू संस्कृति में विशेष कर्म माना गया है और परंपराओं का एक सुंदर चित्रण है। विवाह हर संप्रदाय और धर्म के परिपेक्ष में एक विशेष अनुष्ठान रहा है। लेकिन जब हम भारतीय संस्कृति में इसे देखते हैं तो इसके पीछे के वैज्ञानिक सिद्धांतों भी सफल होते हैं क्योंकि यहां विवाह से पहले दोनो लोगों की कुंडलियों का मिलान करने के बार विवाह की अनुमति दी जाती है। अब अगर मन में प्रश्न है कि हमें शादी से पहले कुंडली क्यों मिलानी चाहिए तो इसके बहुत से कारण हैं और ये कारण तर्क सम्मत ही हैं।

पहले तो हमें यह समझने की आवश्यकता है की कुंडली मिलान/horoscope matching केवल अष्टकूट मिलान कर लेने से ही पूरा नहीं होता है। इन आठ गुणों के अलावा भी दोनों की जन्म कुंडलियों में स्थिति ग्रहों की स्थिति, दशा का प्रभाव सभी बातें अपना असर डालती हैं। आज के समय में कुंडली मिलान को अष्टकूट मिलान तक ही सीमित कर दिया गया है जो बिल्कुल भी उचित नहीं है। अष्टकूट मिलान वह गुण मिलान है जो व्यक्ति के अधिकांश पक्ष को प्रभावित करता है। इस मिलान से हम व्यक्ति के मूल भूत गुण उसकी सोच-व्यवहार कुशलता, आर्थिक स्थिति, यौन संबंधों की अनुकूलता, संतान सुख इत्यादि के बारे में जान पाते हैं। ऎसे में दोनों पक्ष के भीतर के उन सहज गुणों को भी देख पाते हैं जिन्हें व्यक्ति किसी को भी नहीं बताता है तो ऐसी स्थिति में अष्टकूट मिलान बेहद उपयोगी होता है लेकिन कुछ अन्य बातें भी कुंडली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जो इस प्रकार रह सकती हैं

1. कुंडली में बनने वाले शुभअशुभ योग 
2. कुंडली में ग्रहों की स्थिति
3. कुंडली विवाह भाव की शुभता अथवा अशुभता का प्रभाव 
4. कुंडली में ग्रहों के गोचर की स्थिति कैसी है। 
5. कुंडली में दशाओं का प्रभाव 
6. वर्ग कुंडलियों जैसे नवांश कुंडली, सप्तमांश कुंडली इत्यादि की स्थिति

इन कुछ बिंदुओं को भी कुंडली मिलाने के समय देखना बेहद जरूरी होता है। क्योंकि हमारे पास ऎसे कुछ उदाहरण देखने को मिल जाएंगे जो गुण मिलान में श्रेष्ठ अंक पाकर भी विवाह सुख में कई तरह की परेशानियों से घिरे होते हैं और दूसरी ओर कम गुण मिलान भी विवाह को सुखमय बना रहा है। तो ऐसी स्थिति तब ही उत्पन्न होती है जब सही तरीके से मिलान नहीं किया गया हो। इस बारे में और पढ़ें: हमारी कुंडलियाँ मेल नहीं खातीं, क्या हम फिर भी शादी कर सकते हैं

 

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